दोगला चरित्र दोगला चरित्र
क्या तुम मुझे यहाँ सबके सामने अभी चूम सकते हो? उसने शरारत भरी आँखों से चुनौती दी। क्या तुम मुझे यहाँ सबके सामने अभी चूम सकते हो? उसने शरारत भरी आँखों ...
कोलाहल अब है, श्वेत कपोत के गगन में, कोलाहल अब है, श्वेत कपोत के गगन में,
मतलब के जलवे, बिखरे पड़े है यहाँ हर कोई, अपना उल्लू, सीधा करता है यहाँ ज़मीन से, आसमान तक, होड़... मतलब के जलवे, बिखरे पड़े है यहाँ हर कोई, अपना उल्लू, सीधा करता है यहाँ ज़मी...
क्यों अपनी इन हरकतों से आखिर ये ज़माना बाज़ नहीं आता है। क्यों अपनी इन हरकतों से आखिर ये ज़माना बाज़ नहीं आता है।
समाज के सम्पूर्ण विकास को, तभी सशक्त कर पायेंगे। जब हम सम्पूर्ण विकास को, सम्पूर्णत समाज के सम्पूर्ण विकास को, तभी सशक्त कर पायेंगे। जब हम सम्पूर्ण विकास को, ...